(१) दुर्गा सप्तश्ती में विद्यमान इस गुप्त मन्त्र की जानकारी लाखों भक्तों को हैं, विशेषकर जो शिव जी और सिद्धों की संजीवनी विद्या, शाम्भवी विद्या का अभ्यास करते हैं या सिद्धि प्राप्त करते हैं.
गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित "दुर्गा सप्तश्ती" में पृष्ठ ४७ पर विद्यमान यह गुप्त मन्त्र नीचे दिया जा रहा है जो किसी सिद्ध गुरु से दीक्षा लेने पर सुगमता से सिद्ध हो जाता है:
"ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं
ह स क ह ल ह्रीं
स क ल ह्रीं"
(२) दूसरा मन्त्र इस प्रकार है:
पूरा मंत्र: "ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दुं दुर्गति नाशिन्यै महामायै स्वाहा"
कुछ भगत अपने चेलों को केवल आधा ही मंत्र दे रहे हैं, जैसे:
"ऊँ दुं दुर्गा दुर्गति नाशिन्यै महामायै स्वाहा"
(टिप्पणी: मन्त्र पूरा ही देना चाहिए।)
- डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी
Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee
( Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee's Yoga-Secrets-Revealed Series - 84)
Main References
No comments:
Post a Comment